आज मन बहुत तनहा है और अकेला भी
सोच बहुत गहरी हुई जाती है
दिल में कई विचार आते और जाते है
कभी दिल सभी बन्धनों को तोरना चाहता है
कभी इन्ही बन्धनों में खुश हो लेता है
हाथ बढाने पर कुछ नहीं मिलता है
हाथ हटा लू तो झोली भर जाती है
जिंदगी के दस्तूर भी अजब निराले है
कभी सब खो जाता है कभी सब मिल जाता है