Tuesday, May 8, 2012

ajeeb jindagi

आज मन बहुत तनहा है और अकेला भी 
सोच बहुत गहरी हुई जाती है 
दिल में कई विचार आते और जाते है 
कभी दिल सभी बन्धनों को तोरना चाहता है 
कभी इन्ही बन्धनों में खुश हो लेता है 
हाथ बढाने पर कुछ नहीं मिलता है 
हाथ हटा लू तो झोली भर जाती है 
जिंदगी के दस्तूर भी अजब निराले है 
कभी सब खो जाता है कभी सब मिल जाता है 
 
 

Sunday, April 8, 2012

जिंदगी में ऐसे भी मक़ाम आते है
हम भरी भीर में भी तनहा हो जाते है
जिन्हें दोस्त समझ कर बुलाते है
वो भी दुश्मनों में शामिल हो जाते है

Tuesday, April 3, 2012

bare jatan se dil ko behlaya hamne
chot bhi lagi to khilkhilaya hamne

pink rose: ANTARMAN

pink rose: ANTARMAN: इक नन्ही सी लरकी आज भी पलती है मुझमे , जो चाहती है ठहाके लगाना खिलखिला कर हसना , अपने मन की करना , सारी मुश्किलें भूल जाना , दुनिया की...

Saturday, December 25, 2010

ANTARMAN

इक नन्ही सी लरकी
आज भी पलती है मुझमे ,
जो चाहती है ठहाके लगाना
खिलखिला कर हसना ,
अपने मन की करना ,
सारी मुश्किलें भूल जाना ,
दुनिया की भीर में वो
घबरा जाती है बरी जल्दी ,
सबको अपना समझने की भूल
कर जाती है हरदम,
उसे पता नहीं लोग मिलते है
तो अपने फायेदे के लिए ,
लोग जब तक साथ होते है
तो अपने फायेदे के लिए,
उसको हर पल समझाती हू
मत बन इतनी बेवकूफ ,
कब होगी तू बरी
दुनिया तो ऐसी ही रहेगी ,
तुमको इसी के साथ चलना होगा
पर हठी बहुत है बच्ची, कहती है ,
मै अपने मन के साथ ही चलूंगी
किसी भी कीमत पर खुद को नहीं बदलूंगी